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एंटीबायोटिक दवा बनाम आयुर्वेद


अब चिकित्सक antibiotic sensitivity test भी लिखने लगे हैं। मैं अचरज में हूँ कि हमारी चिकित्सा व्यवस्था कहाँ जा रहा है? अर्थात् आज के चिकित्सक को अपनी गलतियों के बारे में भी जानकारी नहीं है। इसके लिए भी वे जांच के भरोसे ही रहते हैं।
आने वाली सदी एंटीबायोटिक सदी है जिसमें कीमोथेरेपी, अंगों का प्रत्यारोपण अथवा सीजेरियन करना लगभग असंभव होगा। जबकि गॉनरिया, दिमागी बुखार और टायफाइड जैसे संक्रमण का इलाज नहीं हो पाएगा। एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी बैक्टीरिया की खबर सामने आने लगी है। यह मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ अंतिम उपाय है। इसने शोधकर्ताओं को निराशा और भय से भर दिया है।  दशकों में बैक्टीरिया प्रतिरोध में हुई वृद्धि को दुनिया भर में देखा गया है। जीवाणुरोधी प्रतिरोध को बैक्टीरियल जीनोम (Bacterial Genome) के चयनात्मक एंटीबायोटिक दबाव के तहत और पर्यावरण के चयनात्मक दबाव द्वारा तेजी से होते देखा गया है। प्रतिरोध किसी भी एंटीबायोटिक से विकसित हो सकता है। व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं को सतत रूप से चुनना मल्टीरेजिस्टेंस उपभेदों (Multi Resistant strains) में वृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण कारक है। प्रतिरोधी म्यूटेंट (Resistant mutants) आमतौर पर एक ऐसे वातावरण में जीवित रहते हैं जिसमें कई एंटीमाइक्रोबियल (Antimicrobial) मौजूद हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिये नई रणनीति एक प्रमुख समस्या है।
दुनिया में मौजूद रोगों में, संक्रमण दूसरा प्रमुख कारण है और इस संक्रमण का स्थान विकसित देशों में नम्बर तीन और भारत में चौथा नम्बर है। दुनिया भर में बैक्टीरिया के संक्रमण से हर साल 17 लाख लोग मर जाते हैं। आज सभी देशों के लिये दवा प्रतिरोध (Drug resistance) चेतावनियों की आवश्यकता है।
संक्रमित भोजन के कारण बहुतायत लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है। इस संक्रमण के लिये कई रोगजनक सूक्ष्मजीव जिम्मेदार है।
एंटीबायोटिक दवाइयाँ ऐसी दवाएँ हैं, जो इन हानिकारक सूक्ष्मजीवों के विकास को कम करती हैं या नष्ट करती हैं, जैसे-बैक्टीरिया, कवक और परजीवी। एंटीबायोटिक्स कम अणुभार वाले यौगिक हैं, जिनमें से अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद से उत्पन्न होते हैं और रोगजनकों के विरुद्ध कम सान्द्रता पर सक्रिय होते हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic resistance) मुख्य रूप से तब होता है, जब ये सूक्ष्म जीव दवाओं के अनुकूल हो जाते हैं और इसकी उपस्थिति में निरन्तर वृद्धि करते है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र (Centers for Disease Control and Prevention - CDC) ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर अपनी हाल ही की रिपोर्ट प्रकाशित की है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण संक्रमण के परिणामस्वरूप दुनिया भर में करीब 10 मिलियन लोग बीमार हो जाते हैं और 23,00,000 मर जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 114 देशों के आँकड़ों को देखते हुए इस मुद्दे पर अपने पहले वैश्विक सर्वेक्षण की भी घोषणा की। अब भी समय है। देशवासियों को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वैदिक चिकित्सा को आगे लाने की आवश्यकता है। योग और आयुर्वेद की युगलबन्दी से देश को स्वस्थ रखा जा सकता है।




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