हिंदू काल
गणना में कई वर्ष होते हैं जिनमें से मुख्य रूप से दो प्रकार के वर्ष हैं सौर वर्ष
और चंद्र वर्ष सौर वर्ष में 365 दिन होते
हैं और चांद्र वर्ष में 355 दिन होते हैं सौरवर्ष प्रायः 14 अप्रैल को शुरू होता है भारतीय पर्व त्योहार तथा व्रत चंद्र वर्ष की गणना
के अनुसार से संपन्न होते हैं सर संक्रांति या 12 होती हैं
जिसमें 2 संक्रांति मुख्य हैं मेष संक्रांति इसे सतुआ
संक्रांति भी कहते हैं
भारतीय
परंपरा में समय का विभाजन छह प्रकार से किया जाता है । वर्ष, हायन, रितु, मास,
पक्ष और दिवस वर्ष पांच प्रकार के होते हैं चांद चंद्र सौर सावन नक्षत्र बार्हस्पत्य
चंद्र वर्ष में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर अमावस्या तक चैत्र वैशाख
दादी 12 महीने तथा 354 दिनों का होता है मलमास होने पर यह
चांद्र वर्ष 13 महीनों का होता है सौर वर्ष में मेष वृष आदी 12 राशियां होती है तथा इसमें 365 दिन होते हैं सावन वर्ष
में 360दिन होते हैं नाक्षत्र वर्ष में 12 नक्षत्र मास 324 दिन होते हैं बार्हस्पत्य वर्ष में
361 दिन होते हैं संकल्प आदि में चंद्र वर्ष का ही प्रयोग
किया जाता है यह दो प्रकार के होते हैं दक्षिण और उत्तर सूर्य की कर्क संक्रांति
से छह राशि के भोग से दक्षिणायन तथा मकर संक्रांति से छः राशि के भोग से उत्तरायण
होता है प्रीत में रितु में रितु दो प्रकार के होते हैं सौर तथा चंद्र मीन तथा मेष
से आरंभ होकर सूर्य की दो राशि भोग करने पर बसंत आदि 64 ऋतु
होते हैं चैत्र से लेकर दो 2 महीने का बसंता दी चाहा चांद्र
ऋतु होता है मास महीना चार प्रकार के होते हैं चांद और सावन और नक्षत्र शुक्ल
प्रतिपदा से अमावस्या तक या कृष्ण प्रतिपदा से पूर्णिमा तक चांद्रमास होता है
मलमास दो प्रकार के होते हैं अधिक मास और समाज जिसमें संक्रांति ना हो उसे अधिक
मास तथा जिस महीने में दो संक्रांति हो उसे क्षय मास कहते हैं
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