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प्रतिभा की संरचना ( structure of talent )
हम प्रतिभा की संरचना को समझने की कोशिश करेंगे।
यह ध्यान में रहे ही कि यहां सिर्फ़ उपलब्ध ज्ञान का समेकन मात्र किया जा रहा है, जिसमें
समय अपनी पच्चीकारी के निमित्त मात्र उपस्थित है। प्रतिभा की संरचना ( structure of talent ) प्रतिभा ( talent
), जैसा कि पहले भी कहा जा
चुका है, योग्यताओं का संयोजन ( combination ) अथवा उनका कुल योग है। किसी अलग-थलग योग्यता को
प्रतिभा नहीं माना जा सकता, भले ही वह विकास के बहुत ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी हो
और ज्वलंत रूप में दृष्टिगोचर होती हो। इसे विशेष रूप से विलक्षण स्मरण-शक्ति से
युक्त लोगों के बारे में की जानेवाली जांच-पड़ताल प्रमाणित करती है ( सुदृढ़
स्मरण-शक्ति और उसकी अनोखी क्षमता को आम लोग प्रतिभा का समतुल्य मान बैठते हैं )।
कुछ मनोविज्ञानियों के एक समूह ने एक व्यक्ति पर प्रयोग किए, जिसकी
स्मरण-शक्ति ( memory ) स्पष्ट रूप से असाधारण ( extraordinary ) थी। उसकी अदभुत स्मृतिगत योग्यता पर किसी को कोई
संदेह नहीं था, पर उसे किसी व्यावहारिक प्रयोजन के लिए उपयोग में
नहीं लाया जा सकता ( मंच पर प्रदर्शन, और दर्शकों को चमत्कृत करने के अलावा )। परंतु मनुष्य
के सृजनशील कार्यकलाप में स्मरण-शक्ति एक कारक ( factor
) मात्र है, जिस पर
उसकी सृजनशीलता की सफलता तथा फलप्रदता निर्भर करती है। वे मन की सुनम्यता ( good flexibility ), प्रखर कल्पनाशक्ति, दृढ़ संकल्प, गहन रुचियों तथा अन्य मनोवैज्ञानिक गुणों पर कोई कम
आश्रित नहीं होती। उस व्यक्ति ने स्मरण-शक्ति के अलावा अपनी और किसी योग्यता का
विकास नहीं किया था और इसलिए वह सृजनशील सक्रियता के प्रयोगों में ऐसी सफलता
प्राप्त नहीं कर सका, जो उसकी विरल प्रतिभा के अनुरूप होती। निस्संदेह, सुविकसित
स्मरण-शक्ति एक महत्त्वपूर्ण योग्यता है, जिसकी भिन्न-भिन्न प्रकार की सक्रियता में जरूरत
पड़ती है। उल्लेखनीय स्मरण-शक्ति से संपन्न चोटी के लेखकों, चित्रकारों, संगीतकारों
तथा राजनीतिज्ञों के नामों की सूची बहुत बड़ी है। परंतु ऐसे लोगों की और बड़ी सूचि
पेश की जा सकती है, जो कम प्रसिद्ध तथा प्रतिभाशाली नहीं थे, परंतु
जिनकी स्मरण-शक्ति किसी भी अर्थ में विलक्षण नहीं थी। स्मरण-शक्ति की अत्यंत
सामान्य मात्रा तथा स्थिरता किसी भी समाजोपयोगी कार्यकलाप की सृजनशील ढंग से, सफलतापूर्वक
तथा मौलिक ढंग से ( यानि प्रतिभाशाली ढंग से ) पूर्ति के लिए पर्याप्त है। अतः
प्रतिभा व्यक्तित्व के मानसिक गुणों का इतना अधिक संजटिल संयोजन ( complex combination ) है कि वह किसी अकेली योग्यता से निर्धारित नहीं हो
सकती, भले ही अत्यधिक फलप्रद स्मरण-शक्ति जितनी मूल्यवान
योग्यता हो। मनोवैज्ञानिक अनुसंधान बताते हैं कि किसी एक गुण के अभाव, अथवा
अधिक सटीक शब्दों में, अपर्याप्त विकास की अन्य गुणों के गहन विकास से
सफलतापूर्वक प्रतिपूर्ति ( compensate ) की जा सकती है, जिनसे प्रतिभा के गुणो की समष्टि बनती है। अंततः, प्रतिभा
की संरचना उन अपेक्षाओं ( expectations ) के स्वरूप से निर्धारित होती है, जो
संबद्ध सक्रियता ( राजनीति, विज्ञान, कला, उद्योग, खेलकूद, सैन्य-सेवा, आदि के क्षेत्रों ) में किसी व्यक्ति से की जाती है।
इसलिए प्रतिभा में मिल जानेवाली योग्यताएं भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों
में भिन्न-भिन्न होंगी। जैसा कि सुविदित है, मनोविज्ञानी योग्यताओं के अधिक सामान्य ( more common ) तथा अधिक विशिष्ट ( more
specific ) गुणों में भेद करते हैं।
प्रतिभा का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, अपनी बारी में, योग्यताओं की आम संरचना का पता लगाना संभव बना देता
है। वे मानसिक गुणों के सबसे अधिक अभिलाक्षणिक समुच्चय के रूप में प्रकट होती हैं, जो
नाना प्रकार की सक्रियता का सर्वोत्तम स्तर सुनिश्चित करती हैं। बहुत से मेधावी ( brilliant ) बच्चों
की जांच के परिणामस्वरूप अनुसंधानकर्ता सारतः महत्त्वपूर्ण कुछ योग्यताओं का, जो
बौद्धिक देनों का कुल योग होती है, पता लगाने में सफल रहे। इस प्रकार प्रकाश में आनेवाली
सर्वप्रथम विशेषताएं हैं : मनोयोग, एकाग्रता, श्रमसाध्य कार्य करने के लिए सदैव तत्परता। कक्षा में
पाठ के समय, इनसे संपन्न छात्रों का ध्यान कभी विचलित नहीं होता, वह कुछ
भी अनसुना या अनदेखा नहीं रहने देते, उत्तर के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जिनमें उनकी
दिलचस्पी होती है, उसमें वे पूरी तरह तल्लीन हो जाते हैं। कुछ नैसर्गिक
खूबियों से संपन्न बच्चों के व्यक्तित्व का दूसरा गुण, जो
पहले से अविच्छेद्य ( inseparable ) रूप से जुड़ा होता है, श्रम में जुटने की उसकी तत्परता, उसके
प्रति उसके झुकाव से उत्पन्न होता है। विशेषताओं के तीसरे समूह में, जो
प्रत्यक्ष रूप से बौद्धिक सक्रियता से जुड़ा होता है, चिंतन
की अनुपमता ( unrivaled thinking ), चिंतन-प्रक्रियाओं की गति, बुद्धि
का सुव्यवस्थित रूप, विश्लेषण ( analysis
) तथा सामान्यीकरण ( generalization ) की अधिक उच्च क्षमता, मानसिक सक्रियता की उच्च फलप्रदता ( fruitfulness ) शामिल हैं। मानसिक रूप से समुचित विकसित हो रहे
बच्चों के विषय में किए गये नाना मनोवैज्ञानिक पर्यवलोकनों के प्रमाण के अनुसार, उपरिलिखित
योग्यताएं, जिनसे समग्र रूप से बौद्धिक मेधा की संरचना गठित होती
है, ऐसे बच्चों की विशाल बहुसंख्या में प्रकट होती है और
उनकी मात्रा में केवल तभी भिन्नता पाई जाती है, जब इन योग्यताओं में से हरेक को अलग-अलग से लिया जाता
है। जहां तक प्रतिभा में विशिष्ट अंतरों का सरोकार है, वे
मुख्यतया हितों के रुझान ( trends of interests ) में प्रकट होती हैं।
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