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विशिष्टाद्वैत की आचार्य परंपरा


विशिष्टाद्वैत के आदि आचार्य आलवार थे। यह दक्षिण भारत के प्राचीन वैष्णव संत थे। इनकी भाषा तमिल थी। इनके द्वारा रचित संपूर्ण साहित्य तमिल भाषा में उपलब्ध है। विष्णु के प्रति इनमें भक्ति का अत्यधिक उद्रेक था अतः इन्हें विशिष्टाद्वैत के आचार्यों में उच्चतम स्थान प्राप्त है ।इनका स्थिति काल सातवीं अथवा आठवीं शताब्दी में माना जाता है। आलवारों की स्तुतियों का संग्रह बालवीर नामक प्रबंध नाम से विख्यात है। इसमें ईश्वर की भक्ति के साथ ईश्वर का प्रेम दर्शाया गया है भागवत पुराण में उल्लेख है कि विष्णु के अधिकांश भाग भक्त दक्षिण भारत में जन्म लेंगे इन आचार्यों की संख्या स्कूल 111 है जिनके तमिल एवं संस्कृत दोनों नाम प्राप्त होते हैं भूतं सरश्चमहताभयभट्टनाथ सहयोगी सर योगी महंत योगी भूत योगी सर भक्तिसार शर्ट को शर्ट को अथवा पर अंकुश मुनि कुलशेखर विष्णु चित्र गोदा भुगतान गृहण योगी वाहन परकाल मुनि एक भूत योगी भूत योगी अत्यंत प्राचीन अलवार हैं इनका जन्म रांची में हुआ था यह विष्णु के शंख आवतार माने गए हैं महति योगी इनका जन्म महाबलीपुरम में हुआ था यह विष्णु की गदा के अवतार माने गए हैं इन्होंने हजारों पदों की रचना की महंत योगी इन्होंने तमिल भाषा में भक्ति रस के सरस पदों की रचना की चार भक्तिसार इनका जन्म तिरु मढ़ी सही नामक स्थान पर हुआ था शर्ट को यह विष्वक्सेन के अवतार माने गए हैं वैष्णव धर्म के अत्यंत महत्वपूर्ण आचार्यों में इनकी गणना की जाती है इनका जन्म ताम्रपर्णी नदी के किनारे चेतन तिरु कुरकुरे नामक गांव में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था इन्होंने चार ग्रंथों की रचना की कुलशेखर कुलशेखर के गुरु मंगलवार नम बालवार 6:00 यह विष्णु के कौस्तुभमणि के अवतार माने जाते हैं विश्व में चित्र इनका जन्म bp bp बेटी पुत्तूर में हुआ था उनकी माता का नाम पदमा और पिता का नाम मुकुंद था यह विष्णु के जरूर के अवतार माने जाते हैं इन्होंने भी प्रमुख 2 ग्रंथों की रचना की बोदा गोदा पेरियालवार की दत्तक पुत्री थी यह अपने इष्टदेव की पति रूप में उपासना करती थी अपनी मधुर तथा प्रेम भरी रचनाओं के क* गोदा को दक्षिण भारत खमीरा माना जाता है भगवान गिरी रहनी क्या जन्म उच्च ब्राम्हण कुल में हुआ था जीवन के युवावस्था में यह देव देवी के मोह पास में बंध गए थे परंतु श्री रंगनाथ की कृपा से इस से मुक्त हो पाए जिसके बाद इन्होंने अपना पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया 10 योगी वाहन योगी वाहन का पालन पोषण एक निसंतान दंपती द्वारा किया गया इनके द्वारा 10 श्लोकों की रचना की गई परकाल परकाल ने राशि भविष्य ईश्वर की उपासना की आलवार संत भक्ति से आप्लावित स्वरचित पदों के द्वारा जनमानस को प्रभावित किया आलवारों के पश्चात उनकी परंपरा में दार्शनिक आचार्यों की श्रृंखला प्राप्त होती है जिन्होंने वैष्णव परंपरा में दार्शनिक पृष्ठभूमि को तैयार किया परवर्ती आचार्य तमिल के साथ-साथ संस्कृत के जी प्रकांड विद्वान थे इन्हें आचार्य शब्दस्य संबोधित किया गया इन आचार्यों ने आलवारों द्वारा रचित तमिल वेद का तथा ब्रम्हसूत्र का एक साथ अध्ययन किया और इन दोनों के बीच संगति बैठाने का कार्य किया परवर्ती आचार्यों को उन्हें वेदांती कहा जाता है अलवर भक्ति परंपरा के गायक गायक अलवार शब्द आलवार शब्द तमिल भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ईश्वर की भक्ति में लीन रहने वाला
विशिष्टाद्वैत सिद्धांत के आदि प्रवर्तक भगवान श्रीमन्नारायण है उन्होंने इसकी दीक्षा लक्ष्मी को दी अतः इस मक्का परमाचार्य लक्ष्मी को माना जाता है। पूरे स्वामी ने भी लक्ष्मीनाथसमारंभां नाथयामुनमध्यमां अस्मदाचार्यपर्यंतां वंदे गुरुपरंपराम् कहा है।

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