चार्वाक दर्शन वह दर्शन है जो जन सामान्य में स्वभावतः प्रिय है। जिस दर्शन के
वाक्य चारु अर्थात् रुचिकर हों वह चार्वाक दर्शन है। सभी शास्त्रीय गम्भीर विषयों
का व्यावहारिक एवं लौकिक पूर्व पक्ष ही चार्वाक दर्शन है। सहज रूप में जो कुछ हम
करते हैं वह सब कुछ चार्वाक दर्शन का आधार है। चार्वाक दर्शन जीवन के हर पक्ष को
सहज दृष्टि से देखता है। जीवन के प्रति...